Uttar Pradesh के कई जिलों में शिक्षक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद असंतोष जताते हुए घोषणा की कि वे 5 सितंबर को शिक्षक दिवस नहीं मनाएंगे, क्योंकि अब सभी नियुक्त और सेवा में शिक्षक के लिए TET अनिवार्य कर दिया गया है और जिनकी सेवा में 5+ वर्ष शेष हैं उन्हें 2 वर्ष में TET पास करना होगा, अन्यथा पदोन्नति/सेवा पर प्रभाव पड़ेगा।
- Many UP teacher unions announced they will not celebrate Teachers’ Day on 5 September after the Supreme Court made TET mandatory for all teachers, including those already in service.
- Teachers with more than five years left must clear TET within two years; those with less than five years are exempt but not eligible for promotion.
- Unions say this order increases pressure and may disrupt promotions and staffing, so they plan a symbolic boycott of celebrations.
- The ruling aims to standardise teacher quality in schools across India.
“शिक्षक दिवस नहीं मनाएंगे”
- प्रदेश के कई शिक्षक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में घोषणा की है कि वे इस वर्ष 5 सितंबर को “शिक्षक दिवस नहीं मनाएंगे”, क्योंकि निर्णय के अनुसार सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है और इससे बड़े पैमाने पर सेवा–संबंधी आशंकाएं पैदा हुई हैं।
- अदालत ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति टीईटी नियम लागू होने से पहले हुई और जिनकी सेवानिवृत्ति में पांच वर्ष से अधिक समय शेष है, उन्हें दो वर्षों के भीतर टीईटी पास करना होगा, अन्यथा पदोन्नति रुक सकती है और सेवा पर भी असर पड़ सकता है, जबकि जिनकी सेवा पांच वर्ष से कम बची है उन्हें छूट मिली है।
- संघों का कहना है कि यह निर्णय विद्यालयों में मानव–संसाधन प्रबंधन को प्रभावित करेगा और पहले से नियुक्त शिक्षकों पर अतिरिक्त मानसिक दबाव डालेगा, इसलिए प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर शिक्षक दिवस के कार्यक्रम नहीं होंगे।
निर्णय से शिक्षकों की चिंता
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विभिन्न राज्यों के शिक्षक संगठनों ने आशंका जताई कि पुराने बैच के अनेक शिक्षकों ने टीईटी नहीं दिया है, ऐसे में दो वर्ष की समयसीमा मुश्किल खड़ी कर सकती है।
- उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के रिक्त पदों और पदोन्नति–प्रक्रिया पहले से लंबित हैं, जिस पर यह आदेश और प्रभाव डाल सकता है।
शिक्षक दिवस नहीं मनाने का आह्वान
- स्थानीय एवं प्रांतीय स्तर पर शिक्षकों ने कहा कि “शिक्षक दिवस नहीं मनाएंगे” का निर्णय सरकार को संदेश देने के लिए है कि सेवा–नियमों में परिवर्तन करते समय संवाद और चरणबद्ध कार्ययोजना जरूरी है।
- हाल के हफ्तों में यूपी के जिलों में शिक्षकों के धरना–स्मरण–पत्र जैसे कार्यक्रम भी हुए हैं, जो उनकी लंबित मांगों और नए आदेशों पर आपत्ति को दिखाते हैं।
क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- आदेश के मुख्य बिंदु: नए नियुक्तियों के लिए टीईटी अनिवार्य, सेवा में शिक्षक जिनकी सेवानिवृत्ति में 5+ वर्ष शेष हैं उन्हें 2 वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा; 5 वर्ष से कम शेष वालों को छूट परंतु पदोन्नति नहीं; अल्पसंख्यक–प्रबंधित स्कूलों पर मुद्दा बड़े पीठ को भेजा गया।
- फैसले का उद्देश्य प्राथमिक से उच्च प्राथमिक स्तर तक न्यूनतम गुणवत्ता–मानक सुनिश्चित करना बताया गया है।
संगठन क्या चाहते हैं
- शिक्षक संघों की मांग है कि सेवा में शिक्षकों के लिए विशेष/अतिरिक्त प्रयास–सहायता, विशेष टीईटी की व्यवस्था और पदोन्नति प्रक्रियाओं में स्पष्ट संक्रमण–काल दिया जाए।
- कई संगठन राज्य सरकारों से विस्तृत दिशानिर्देश और समय–सारिणी जारी करने की मांग कर रहे हैं, ताकि विद्यालय संचालन बाधित न हो।
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✍️ Keshav Kumar Mishra
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